गौरव दवे को ज्योतिष अध्ययन, अभ्यास और शोध करने में 18 वर्षों का अनुभव है।
उनका मिशन इस ज्योति रूपी दिव्या ज्ञान का उपयोग कर, व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में व्यक्तियों, उद्योगों और संगठनों की सहायता करना है।
गौरव ज्योतिष परामर्श प्रदान करते हैं और ज्योतिष पढ़ाते भी हैं I
वह सनातन धर्म व वैदिक संस्कृति के अनेक ऋषिओं, मुनिओं और दैवज्ञों की ज्योतिष शिक्षाओं/उपदेशों का पालन करते हैं जैसे: महर्षि पराशारा, महर्षि जैमिनी, देवऋषि नारद, महर्षि भृगु, मुनी सत्यचार्य, श्री वरहा मिहिरा, श्री कल्याण वर्मा, श्री वैंकटेश शर्मा, श्री रामदैवज्ञ आदि।
गौरव आधुनिक तकनीक व इंजीनियरिंग बहुत पसंद करते हैं और गणित व भौतिक विज्ञान में विशेष रूचि रखते हैं I वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान वाराणसी (IIT) से बी.टैक. (स्नातक) हैं I
कॉर्पोरेट क्षेत्र में गौरव को मार्केटिंग, फाइनेंस और एंटरप्राइज कंसल्टिंग काफी दिलचस्प लगती है, उन्होंने IAE फ्रांस से मास्टर ऑफ़ मार्केटिंग की शिक्षा ग्रहण करी है I
वैदिक उपायों में रत्न चिकित्सा का एक विशेष स्थान है I रत्नों को धारण कर काफी समस्यों से निदान पाया जा सकता है क्योंकि रत्न पहनने से इंसान में मनोवैज्ञानिक बदलाव आता है मनुष्य अलग तरह से सोचना और प्रतिक्रिया करना शुरू कर देता है, इसी वजह से परिणाम बदलने शुरू हो जाते हैं I
ज्योतिष एक बहुत बड़ा और गूढ़ विषय है और इसे गहनता से सीखने के लिए और एक अच्छा ज्योतिषी बनने के लिए समय, समर्पण, परिश्रम और अभ्यास की आवश्यकता है।
पहले इस विद्या के बुनियादी नियमों अवं गूढतम रहस्यों को समझते हुए अपना आधार (नींव) मजबूत बनाना बेहद जरुरी है। वैदिक संस्कृति एवं इसकी विशेषताओं के अध्ययन द्वारा इसको आत्मसात किया जा सकता है। ज्योतिष को वेदों का अंग (नेत्र) कहा जाता है, ज्योतिष में वो दिव्य ज्योति है जो हमारा मार्गदर्शन कर सकती है अतः इस विषय को सनातन धर्म एवं वेदों के अध्ययन द्वारा और गहनता से समझा जा सकता है। ज्योतिष विद्या का आधार सनातन धर्म ही है I
संकटों से निवारण हेतु, ज्ञानिओं द्वारा बताए विभिन्न लाभदायक वैदिक उपाय (मंत्र, यन्त्र, तंत्र, हवन, दान, विधिविधान अदि) भी हमें इन ग्रंथों में मिलते हैं ।
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