षष्टयंश कुंडली (D-60): ग्रहों के अधिपति और जातक के जीवन में उन का प्रबल प्रभाव

ग्रहों के षष्टयंश कुंडली (डी-60) के अधिपति, ग्रहों की प्राथमिक प्रेरणा होते हैं, और वे उन पर पूरा नियंत्रण रखते हैं, इसी लिए वे जातक के जीवन में पूर्ण रूप से अपना प्रभाव डालते हैं ।

आत्मा कारक ग्रह (जन्म समय में सबसे अधिक डिग्री में उपस्थित ग्रह होता है), व्यक्ति की आत्मा का स्वरुप होता हैं तथा व्यक्ति की आत्मा पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों को दर्शाता है और जातक को माया रूपी संसार में अपने कर्म करने के लिए प्रेरित/बाध्य करता है ।

यदि, आत्मा कारक ग्रह का षष्ठ्यांश वर्गकुंडली में अंश अधिष्ठाता शुभ हों: तो जातक की आत्मा का स्वरुप स्वच्छ, शुद्ध तथा निर्मल होता है और इस जन्म में जातक शुभ कर्म करने के लिए प्रेरित होता है ।

ऐसा जातक सामान्य रूप से निष्पक्षता और इमानदारी से जीवनयापन करता है और यदि उसे थोडा सा भी अधर्म पूर्ण/गलत कार्य करना पड़े तो जातक की अंतरात्मा उसे झकझोरती है, रो उठती हैं और वह बहुत पीड़ित महसूस करता है ।

शुभ षष्ठ्यांशो के कुछ उदहारण इस प्रकार हैं :- महेश्वर, देव, विष्णु, कोमल, अमृत, सौम्य इत्यादी..

षष्ठ्यांश अंश अधिष्ठाता के गुण व स्वाभाव उपरोक्त सन्दर्भ के अनुसार शुभ समझे जाते हैं I उदहारण :-

यदि जातक का आत्मा कारक ग्रह चन्द्रमा हो और षष्ठ्यांश वर्ग कुंडली में यह चन्द्रमा देव अंश में स्थित हो तो क्या होगा ?

~ चन्द्रमा आत्मा कारक ग्रह है तो, ऐसा जातक लोगों के प्रति दया, सहानुभूति व स्नेह रखने वाला होगा और सामान्य रूप से मदत करने की भावना वाला होता है I उपरोक्त शुभ भावनाओं का उपयोग जातक सभी के लाभ/ भलाई तथा सकारात्मकता के लिए करता/ करती हैं, क्योंकि देव षष्ठ्यांश अंश में स्थित ग्रह देवता सामान शुभत्व से बर्ताव करता है I यदि कोई मुसीबत में है, परेशान है, या जरुरतमंद है तो जातक उसकी मदत किये बिना नहीं रह सकता I वह अपने सामर्थय अनुसार हर संभव मदद जरूर करेगा ।

जब कोई जातक अपने पूर्व जन्मो में सकारात्मक तथा शुभ कर्म करता है तो परमात्मा के आशीर्वाद से उस जातक के ग्रह शुभ षष्टयंश में स्थित होते है ।

विभिन्न वर्ग कुण्डिलों में ग्रहों के विभिन्न अम्श अधिष्ठाता होते है जो की: देवता, ऋषि एवं सनातन धर्म के विभिन्न पात्र होते है ।

ध्यान रखें की हम षष्टयंश कुंडली (डी-60) नहीं पढ़ रहे है ।  हम जन्म कुंडली (Rashi Chart) में सिर्फ आत्म कारक ग्रह पता कर रहे हैं और उस ग्रह के षष्टयंश कुंडली (डी-60) में अंश अधिपति पता कर रहे हैं ।

नोट : किसी भी अच्छे ज्योतिष सॉफ्टवेयर में आपको हर वर्ग कुंडली के अंश अधिपति की जानकारी आसानी से मिल जाएगी ।

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